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इस सोती हुई जिंदगी को क्या लिखूं, हो आब की बूंद या

इस सोती हुई जिंदगी को क्या लिखूं,
हो आब की बूंद या सबनम कोई,
वक्त आने पर चिंगारी दोनों से ही उठ जाती है।।
                            ...... अंकित.... #अंकित
इस सोती हुई जिंदगी को क्या लिखूं,
हो आब की बूंद या सबनम कोई,
वक्त आने पर चिंगारी दोनों से ही उठ जाती है।।
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