हुंकार उठो,सागर से नभ तक जाना है, हुंकार उठो,खोया अतीत दिलवाना है, हुंकार उठो,तुमको अखंडता पाना है। धारा सरिता की बहने दो, स्वाभिमान को रहने दो, ले चक्र सुदर्शन विष्णु का, संहार करो तुम दुष्टों का। इस तम सम युक्त कलयुग में, अपना आंगन विस्तार करो, हुंकार उठो,हुंकार उठो। -नीरज सारस्वत #कविता #poem #motivation #gurubaba