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"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की कभी ढ़लती शाम नही लि

"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की 
कभी ढ़लती शाम नही लिखना है

तेरे- मेरे प्यार को
कभी पूर्णविराम नही लिखना है

मैं भले हो जाऊं अकेला
पर हर पल संग तेरा एहसास रखना चाहता हूँ

तुझसे जुडी़ हर याद
हर अरमां,हर ख्वा़ब को आबाद रखना चाहता हूँ

"जान" मैं अपने प्रेम की कहानी नही
बल्कि एक प्रेम उपन्यास लिखना चाहता हूँ

बेशुमार तेरी चाहत,बेशुमार प्यार को तेरे
बस अपनी दड़कन,हर सांस लिखना चाहता हूँ

"गुलाब" मैं तुझे खुद का पूरा किरदार लिखना चाहता हूँ
अपने जीवन के बाग का हर बहार लिखना चाहता हूँ

हाँ "कवि" मैं अपने प्रेम का एक प्रेम ग्रंथ लिखूंगा
उसमें तुझे अपना खुदा ,और सच्चे मन से इबादत लिखूंगा.!
 
"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की 
कभी ढ़लती शाम नही लिखना है

तेरे- मेरे प्यार को
कभी पूर्णविराम नही लिखना है

मैं भले हो जाऊं अकेला
"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की 
कभी ढ़लती शाम नही लिखना है

तेरे- मेरे प्यार को
कभी पूर्णविराम नही लिखना है

मैं भले हो जाऊं अकेला
पर हर पल संग तेरा एहसास रखना चाहता हूँ

तुझसे जुडी़ हर याद
हर अरमां,हर ख्वा़ब को आबाद रखना चाहता हूँ

"जान" मैं अपने प्रेम की कहानी नही
बल्कि एक प्रेम उपन्यास लिखना चाहता हूँ

बेशुमार तेरी चाहत,बेशुमार प्यार को तेरे
बस अपनी दड़कन,हर सांस लिखना चाहता हूँ

"गुलाब" मैं तुझे खुद का पूरा किरदार लिखना चाहता हूँ
अपने जीवन के बाग का हर बहार लिखना चाहता हूँ

हाँ "कवि" मैं अपने प्रेम का एक प्रेम ग्रंथ लिखूंगा
उसमें तुझे अपना खुदा ,और सच्चे मन से इबादत लिखूंगा.!
 
"लाडली" मुझे अपनी मोहब्बत की 
कभी ढ़लती शाम नही लिखना है

तेरे- मेरे प्यार को
कभी पूर्णविराम नही लिखना है

मैं भले हो जाऊं अकेला