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आंसू की ख्वाहिश मत पूछो ये पलकों में, आसमान दबाये

आंसू की ख्वाहिश मत पूछो
ये पलकों में, आसमान दबाये बैठे है,

सोने दो इनको जगाओ ना, 
बूँद बूँद इकठ्ठा कर, तूफान दबाये बैठे है।

जो जग गए तो तुम तिनके हो 
ये सर्दी गर्मी पतझड़ के मौसम भुलाये बैठे है 

इन्हे रहने दो अंधेरे शून्य में 
ये सारे ग्रह मंडल को आँखों में छुपाये बैठे है।  

आंसू की ख्वाहिश मत पूछो
ये पलकों में, आसमान दबाये बैठे है

©Tanha Shayar hu Yash
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