माना बहुत ही जज्बाती हूं मैं सबको झट से अपनाती हूं मैं दिल से सोचती हूं दिमाग नहीं लगाती रिश्तों में चोरी मुझको ना भाती पर यह भी है सच जो विश्वास रखता फिर मेरा मन उसे धोखे में ना रखता नहीं जानती कोई कैसे है माने बाल की खाल कोई कैसे निकाले यही चाहती हूं गलतफहमी ना पाए किसी रिश्ते में कोई खटास ना आए दोस्ती सभी से हर कोई निभाए हिस्से की खुशी सबको मिल जाए यह गुनाह है, तो गुनहगार हूँ मैं हाँ, तुम्हारी कसूरवार हूँ मैं ©Anita Mishra #vishwas