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#Afsana देख मेरी माँ सड़क पे सो रही है नमस्कार दो

#Afsana
देख मेरी माँ सड़क पे सो रही है 

नमस्कार दोस्तों हमारे देश में १३४ करोड़ लोगो की जनसँख्या है और उन १३४ करोड़ की जनसँख्या में कोई एक मुसाफिर जो की सड़क में एक दिन जा रहा था उसने एक बूढी स्त्री को सड़क पे सोते हुए देखा उससे रहा नहीं गया तो वो उस बूढी स्त्री के पास गया और उनसे पुछा की आप यहाँ कब से रह रही हैं और क्यू रह रही हैं आपका कोई घर नहीं है क्या तो उस बूढी स्त्री ने कुछ इस तरह अपने दुःख को बयान किया

बेटा चोट तो ये जो है हमारी वो है बहुत पुरानी
चले जाओ बेटा यहाँ से होगी बड़ी मेहेरबानी 
मत पूछो बेटा तुम हमसे कि हम कहाँ पर रह रहे हैं

#Afsana देख मेरी माँ सड़क पे सो रही है नमस्कार दोस्तों हमारे देश में १३४ करोड़ लोगो की जनसँख्या है और उन १३४ करोड़ की जनसँख्या में कोई एक मुसाफिर जो की सड़क में एक दिन जा रहा था उसने एक बूढी स्त्री को सड़क पे सोते हुए देखा उससे रहा नहीं गया तो वो उस बूढी स्त्री के पास गया और उनसे पुछा की आप यहाँ कब से रह रही हैं और क्यू रह रही हैं आपका कोई घर नहीं है क्या तो उस बूढी स्त्री ने कुछ इस तरह अपने दुःख को बयान किया बेटा चोट तो ये जो है हमारी वो है बहुत पुरानी चले जाओ बेटा यहाँ से होगी बड़ी मेहेरबानी मत पूछो बेटा तुम हमसे कि हम कहाँ पर रह रहे हैं

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