Alone तुम्हें लगता होगा पागल हूं मैं, क्यों हमेशा चुप चाप रहता हूं?? नहीं करता बातें ज्यादा मैं, खुद में ही खोया कई बार रहता हूं। जिसे कहते हो तुम मुस्कुराना, वो जुदा जुदा सा मेरा अंदाज है । जिसे पागलपन का नाम देते हो, सपना कुछ खास है। स्वैग है मेरा चलना अकेला और निडर, आदत है मेरी नहीं लगता किसी से डर। जीवित हूं अभी आओ बातें करें, जो लगे अच्छा तो साथ रहो वरना जाओ अपने घर। रास्ते अलग हैं सभी के यहां पर, तुम्हें जाना है तो खिड़की दरवाजे सभी खोल रखे हैं। आदत नहीं मेरी भीड़ का हिस्सा रहूं, ना जाने कितने ही जमाने में लोग छोड़ रखे है। कुछ खास नहीं हूं मैं पता है मुझे, ऐ ज्ञानी महात्मा मुझे कुछ सिखाओगे क्या?? शिष्य बनूंगा उसका जो मुझमें मुझे देखे, छोड़कर जमाना भर मुझे बेहतर बनाओगे क्या?? लकीर का फकीर फितरत में नहीं मेरी, रुकना एक जगह मेरे लहू में नहीं है। अरे रहने दो नहीं समझ पाओगे तुम, मेरे जैसी किताब कहीं और नहीं है। ©Consciously Unconscious #alone Lonely wolf!! I am a common man. Saurav life mysterious boy