ये जो पाँच-दस रुपए में तिरंगा खरीद लेते हो न, इसकी कीमत उससे पूछो जो इसमें लिपट कर घर आया हो, चार रंग होते है इसमें पांचवा तो उस वीर का लहू होता है, इतने दर्द सीने में लिए होता है फिर कहा रोता है, अरे पूछो कीमत उससे जिसने कंधे पर रख कर शाहिद को, अमर रहे का गीत गाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस माँ से जिसने अपने लाल को इस देश के नाम लगाया हो। बहन की राखी भी तो अधूरी है, भाई की कलाई तो दुश्मन की छाती चिर रही है, कैसे इस गम में मुस्कुराना है ये हर वीर की बहन सिख रही है, अरे पूछो कीमत उस डाकिये से जिसने हर साल गीली राखी का लिफाफा सीमा पर पहुचाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस बहन से जिसने अपने आसुयो से राखी का रंग बहाया हो उस पिता का क्या, जो दिवाली की मिठाई अकेले खरीद कर लाया हो, होली के रंग यूही हवा में उडाया हो, परिवार को बेटे की कमी न अखरे इसलिए बेटे का अभिनय भी निभाया है, अरे पूछो कीमत उस रात से जिसमे एक पिता ने जम के आसु बहाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस पिता से जिसने एक बेटे के शहीद होने पर दूसरा बेटा जंग में लड़ाया हो। ये जो पाँच-दस रुपए में तिरंगा खरीद लेते हो न, इसकी कीमत उससे पूछो जो इसमें लिपट कर घर आया हो। #Jeevan_ka_gyaan #kavyapankh3