वो जब तक बच्चे हैं आगे बढ़ते हैं, फिर वो बड़े हो जाते हैं। फिर दुहराता हूँ कि हर मजबूरी का एक चेहरा होता है, वो खूबसूरत और सुनहरा होता है। लेकिन जब झांकोगे तो पाओगे उसके पार हमेशा एक संसार होता है, जहाँ आदमी सिर्फ सपनों में जाता है, वो लौटकर आता है, जागता है, अंधाधुंध जिंदगी की रेस में भागता है, उसकी चाहत और राहत में, उसकी ऊब बौखलाहट में हमेशा एक संभावना झलकती है। मुठ्ठी भींचकर वो खड़ा रहता है, बस यही समझ आता है ये जो बड़े शहर में बित्ते भर का उसका आशियाना है, उससे बाहर निकलने के लिए उसे रॉकेट से भी ज्यादा जोर लगाना है। बारिश में 3