मेरा मन मन हो परेशान तो क्या किया जाए समझा जाए या बेसहारा छोड़ दिया जाए रात के अंधरे में बादलों के बीच से तीर सी जाती है तारो की चकाचौंध में विचलित हो लौट आती है मेरी पुकार झांकु जो अपने अंतर्मन में तो आंखे नम होती है लिखूं जो कविताएं तो पीड़ा कुछ कम होती है युद्ध है छिड़ा एक स्वयं के विरुद्ध इसमें हारू या जीतू दुविधा ना कम होती है ©pari #meraman