खून के रिश्ते मजबूरी बन गए, दिल के रिश्तों को दफन कर दिया, एक ज़िंदगी मिली भी तो, दौलत समेटते-समेटते उसे खत्म कर दिया, लागा दी थी रिश्तों की कीमत इस दुनिया के बाज़ार में, असली कीमत तब समझ आई, जब वक्त ने दौलत की चादर को कफ़न कर दिया। ©mishasingh Nojoto News