*** कविता *** *** कह तो दूं *** " कुछ बात आये मैं कह तो दूं , दिलनशी एहसास किस की खामोशी पे आतूर हैं , ये दिले नादान तुझको हुआ क्या है , ये किस की तिसनगी हैं जो दिल से लगाये बैठा है , कुछ बात आये तो मैं बात कर तो लूं , वो हैं बेरुखी हद से ज्यादा दिल से लगाये बैठे हैं , कुछ रास आये ज़िन्दगी क्या मैं बात करु , वो मैफिलो में ग़म से दिल लगाये बैठे हैं , ये खामोशि कब तक वदस्तूर रहेगी , इल्म ये एहसास मेंरी खामोशियों पे दस्तक दे बैठा है ." --- रबिन्द्र राम *** कविता *** *** कह तो दूं *** " कुछ बात आये मैं कह तो दूं , दिलनशी एहसास किस की खामोशी पे आतूर हैं , ये दिले नादान तुझको हुआ क्या है , ये किस की तिसनगी हैं जो दिल से लगाये बैठा है , कुछ बात आये तो मैं बात कर तो लूं ,