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रोते रोते कौन हँसा था बारिश में सूरज निकला था चल

रोते रोते कौन हँसा था 
बारिश में सूरज निकला था 
चलते हुए आँधी आई थी 
रस्ते में बादल बरसा था 
हम जब क़स्बे में उतरे थे 
सूरज कब का डूब चुका था 
कभी कभी बिजली हँसती थी 
कहीं कहीं छींटा पड़ता था 
तेरे साथ तिरे हमराही 
मेरे साथ मिरा रस्ता था 
रंज तो है लेकिन ये ख़ुशी है 
अब के सफ़र तिरे साथ किया था

©sampat
  #रोते_रोते