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हाँ मैं एक मजदूर हूँ, दुसरों की आशियाने बनाने के ल

हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
दुसरों की आशियाने बनाने के लिए, हाँ, मैं ही ईट उठाता हूँ।
दुसरों की आशियाने, मैं ही बनता हूँ, पर रहता खुद झोपड़ी में हूँ,
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
माना की कम पढ़ा लिखा हूँ, पर दुनियदारी की समझ इन शहर वालों से जादा है,
मुशिकल पड़े लोगों कभी नही साथ छोड़ता हूँ,
मतलब से पहले इंसानियत की बाते करता हूँ,
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
कल कारखाने या खेतो मैं खेती करनी हो,
सब को अपना मान कर,सभी काम मैं करता हूँ,
संकोच मैं क्यों करूँ,  सभी तो अपने लगते हैं,
फिर भी ना जाने क्यों,
अक्सर हम से ही भेद भाव करते हैं,
एक पल की रोटी खा कर,
दो पल की रोटी, अपने परिवार के नाम करता हूँ,
अपने से पहले अक्सर मैं दुसरों का सोंचता हूँ
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
फिर भी ना जाने क्यों, अक्सर, हमे लोग तू कर के बुलाते हैं,
आज भी मेहनत की पैसों के लिए, बारम बार दौड़ाते हैं,
देख आज ये हालात,
आज भी आँख से आसूँ छलक जाते हैं,
आज अपने ही देश मैं हम प्रवासी हो जाते हैं,
देख हमारी हालात पे आज तरस किसे आता है,
क्यों की हम मजदूर हैं, 
इसलिये हर कोई अनसुना कर जाता है,
पर हम हार नही मानते,
मेहनत कर पुरे विश्व का कल्याण कर जाते हैं,
पर अपनी इस तपस्या को हम मजदूरी का नाम दे जाते हैं,
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ।
                            अनुकरण मजदूर की जीवन
#मजदूर
#प्रवासि
#रोटी
#खेती
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
दुसरों की आशियाने बनाने के लिए, हाँ, मैं ही ईट उठाता हूँ।
दुसरों की आशियाने, मैं ही बनता हूँ, पर रहता खुद झोपड़ी में हूँ,
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
माना की कम पढ़ा लिखा हूँ, पर दुनियदारी की समझ इन शहर वालों से जादा है,
मुशिकल पड़े लोगों कभी नही साथ छोड़ता हूँ,
मतलब से पहले इंसानियत की बाते करता हूँ,
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
कल कारखाने या खेतो मैं खेती करनी हो,
सब को अपना मान कर,सभी काम मैं करता हूँ,
संकोच मैं क्यों करूँ,  सभी तो अपने लगते हैं,
फिर भी ना जाने क्यों,
अक्सर हम से ही भेद भाव करते हैं,
एक पल की रोटी खा कर,
दो पल की रोटी, अपने परिवार के नाम करता हूँ,
अपने से पहले अक्सर मैं दुसरों का सोंचता हूँ
हाँ मैं एक मजदूर हूँ,
फिर भी ना जाने क्यों, अक्सर, हमे लोग तू कर के बुलाते हैं,
आज भी मेहनत की पैसों के लिए, बारम बार दौड़ाते हैं,
देख आज ये हालात,
आज भी आँख से आसूँ छलक जाते हैं,
आज अपने ही देश मैं हम प्रवासी हो जाते हैं,
देख हमारी हालात पे आज तरस किसे आता है,
क्यों की हम मजदूर हैं, 
इसलिये हर कोई अनसुना कर जाता है,
पर हम हार नही मानते,
मेहनत कर पुरे विश्व का कल्याण कर जाते हैं,
पर अपनी इस तपस्या को हम मजदूरी का नाम दे जाते हैं,
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ।
                            अनुकरण मजदूर की जीवन
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