चलिए, आज एक जाबाज़ को सुना जाए। उनका तारूफ, चराग बताया जाए। इक चिंगारी, गेहरे अंधेरे को चीर ले जाए। इस जहां को, ओझल होने से बचाए। ये एक अकेला, ऐसी गुस्ताख़ी कर जाए भीड़ से अलग, खड़े रहने का हुनर सीखा जाए। रौशन करने की खूबी, जेहेन में बसाए। ख़ुद को और आेरों, दोनों को झिलमिला जाए। हाज़िर-नाज़ीर, जिनके पास रहे उन्हें मान जाए। कभी इबादत कभी खुशनुमा, किसी की शाम बना जाए। ©Anuradha Sharma #diya #andhera #inspiration #darkness #yqquotes #yqhindiurdupoetry #life