ग़ज़ल ✍️ -------------------------- रह गया कुछ अधूरा उसके बिन टीस उसकी मगर नहीं होती शातिरों को समझ ले आँखो से तेज़ इतनी नज़र नहीं होती क़ाफिया और रदीफ़ होते क्या बेवफ़ा वो अगर नहीं होती क्या किया जाए भोले लोगों का इश्क़ तक की ख़बर नहीं होती कोई मरता नहीं किसी के बिन याद भी उम्र भर नहीं होती सब परेशान हो गए मुझसे अब किसी को फिकर नहीं होती हार और जीत तो लगा रहता जिन्दगी मुख़्तसर नहीं होती कोसना मत कभी भी खुद को तू बद-दु'आ बेअसर नहीं होती जब भी है सोचा मतलबी होने जिन्दगी फिर बसर नहीं होती जो कदर करने वाले हैं साहब उनकी ही तो कदर नहीं होती ©Divu ग़ज़ल:- 2122 1212 22 ✍️ #divu_poetry #Shayar #ghazal #gazal #shayaari