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मुझे बोलने की आवश्यकता भी नहींऔर वो समझ जाती है, म

मुझे बोलने की आवश्यकता भी नहींऔर वो समझ जाती है,
माँ के सभी सवालों के जवाब जब कभी मैं झुठ बोलकर देता हूँ 
तो वो माँ को बोलती है "क्यु परेशान कर रही हो भाई को",
वो मेरी बहना है जो:-
मेरे सारे राज छिपाती है, तकलीफों से पार लगती है,
बहुत सोचुँ तो मुझे समझाती है, 
दुनियाँ से दुर बहुत दुर मुझे ले जाती है,
मेरी चुप्पी पर चिल्लाती है,
"भाई मेरी जान है" कहकर मुझे रुलाती है,
मेरी सांस, मेरा सहारा, मेरी कश्ती वो बन जाती है,
मुश्किल को दुर करने का हुनर मुझे सिखाती है,
"तु अनमोल है" ये बोल कर खुद रो जाती है,
मेरे बिना इक पल भी ना रह पाती है,
"भाई तेरी शादी करवायेगे" ये बोल के मुझे चिढ़ाती है,
बदलते हुऐ इस मौसम को वो मेरी अर्धांगनी बुलाती है,
मेरे जहन की हालत को वो अच्छे से भाँप जाती है,
रोते हुऐ मेरे जहन को वो छट पट से हँसाती है,
वो मेरी छोटी सी बहन है, जो मेरी दोस्त बन जाती है ।।
जन्मदिन मुबारक हो छुटकी ।। मुझे बोलने की आवश्यकता भी नहीं और वो समझ जाती है,
माँ के सभी सवालों के जवाब जब कभी मैं झुठ बोलकर देता हूँ 
तो वो माँ को बोलती है "क्यु परेशान कर रही हो भाई को",
वो मेरी बहना है जो:-
मेरे सारे राज छिपाती है,
तकलीफों से पार लगती है,
बहुत सोचुँ तो मुझे समझाती है,
दुनियाँ से दुर बहुत दुर मुझे ले जाती है,
मुझे बोलने की आवश्यकता भी नहींऔर वो समझ जाती है,
माँ के सभी सवालों के जवाब जब कभी मैं झुठ बोलकर देता हूँ 
तो वो माँ को बोलती है "क्यु परेशान कर रही हो भाई को",
वो मेरी बहना है जो:-
मेरे सारे राज छिपाती है, तकलीफों से पार लगती है,
बहुत सोचुँ तो मुझे समझाती है, 
दुनियाँ से दुर बहुत दुर मुझे ले जाती है,
मेरी चुप्पी पर चिल्लाती है,
"भाई मेरी जान है" कहकर मुझे रुलाती है,
मेरी सांस, मेरा सहारा, मेरी कश्ती वो बन जाती है,
मुश्किल को दुर करने का हुनर मुझे सिखाती है,
"तु अनमोल है" ये बोल कर खुद रो जाती है,
मेरे बिना इक पल भी ना रह पाती है,
"भाई तेरी शादी करवायेगे" ये बोल के मुझे चिढ़ाती है,
बदलते हुऐ इस मौसम को वो मेरी अर्धांगनी बुलाती है,
मेरे जहन की हालत को वो अच्छे से भाँप जाती है,
रोते हुऐ मेरे जहन को वो छट पट से हँसाती है,
वो मेरी छोटी सी बहन है, जो मेरी दोस्त बन जाती है ।।
जन्मदिन मुबारक हो छुटकी ।। मुझे बोलने की आवश्यकता भी नहीं और वो समझ जाती है,
माँ के सभी सवालों के जवाब जब कभी मैं झुठ बोलकर देता हूँ 
तो वो माँ को बोलती है "क्यु परेशान कर रही हो भाई को",
वो मेरी बहना है जो:-
मेरे सारे राज छिपाती है,
तकलीफों से पार लगती है,
बहुत सोचुँ तो मुझे समझाती है,
दुनियाँ से दुर बहुत दुर मुझे ले जाती है,