हुआ अंधकार से शुरू, ना था प्रकाश का ज्ञान। पर अंधकार मे मिला, हमें एक रंग (काला रंग) का ज्ञान। अंध मे प्रकाश, प्रकृति मे अहसास, वो नीर की प्यास, हो वाणी मे मिठास। हो धरती, ये अंबर, ये चाँद- सितारे हो जलचर या थलचर या आकाश वारे। सबसे मिला है और सबने दिया है इन सांसो को हस के कभी रो के जिया है। माता पिता और परिवार वाले, ब्रह्मा, विष्णु या शंकर निराले। ज्ञान-ए-जीवन ये शुरू हैं देते, वो ज्ञान-ए-चरित्र बस गुरु हैं देते। जो चाहता है तू, पानी गुरु-दीक्षा, कर खुद को तू पात्र, और पा गुरु-शिक्षा। ©VAIBHAV AGARWAL #TeachersDay #05Sep #GuruShiksha #GuruKaGyan #Gurukiseekh #vbhvcreation #VaibhavAgarwal #NojotoApp #NojotoInstagram #NojotoHindi #NojotoPoem #KavitaHindi #Yourquote #google #VaibhavTheAgarwals #Indianpoethub