बिकती है तनहाईयाँ यहाँ ज़रा आहिसता से चौरास्ते पर खड़े वो खुद ही आ पढ़ लेता जिसे ना खुली कहानी दिल के उन पन्नो से लिफाफे बयां जो रूह का करे अब शिकायत ना रही ना पछतावा किसी गम का जब मेहफिल भी हम और खरीददार भी हम ही निकले DQ : 013 #रूह #बिकती #है #सरेआम #मेहफिलों में #wordplay2 #yqbaba #yqdidi