क्यों नहीं खड़ा हुआ पूरा देश/क्यों गये डोभाल❓ मैं अटल बिहारी वाजपेई के 1999 में उठाए कदमों से पूरी तरह असहमत हूं। लेकिन, अपने देश के सियासतदानों के चरित्र को देखकर दावे के साथ कह सकता हूं कि अटल जी ने जो किया वह उस समय की बेस्ट कूटनीति और अजीत डोभाल की शानदार रणनीति रही। और उनकी आलोचना करने वाले लोगों को चीन और पाकिस्तान की समस्या उलझाने के लिए अपने पुरखों की आलोचना करनी चाहिए। इतना नैतिक साहस तो इन्हें रखना हीं चाहिए। अजीत डोभाल विपरीत हालात में भी कंधार गए आतंकियों से बातचीत की।आतंकियों से बातचीत को लंबा खींचा और उन्हें थकाया, मैसेज देने की कोशिश की कि भारत सरकार उनकी कोई मांग ऐसे ही नहीं मानेगी। अजीत डोभाल जैसे देश में कितने सपूत❓ डोभाल आतंकियों की मांद में थे। उनसे लगातार बातचीत कर रहे थे ताकि सभी की सुरक्षित रिहाई हो सके। अजीत डोभाल ने पल-पल पर नजर रखी और वायरलेस के सहारे कॉकपिट में हमेशा पायलट से बातचीत की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विमान में मौजूद सभी लोग सुरक्षित हैं। डोभाल ने आतंकियों के सामने विमान में लगाये भारत मां की जय और वंदे मातरम के नारे अजीत डोभाल ने हिम्मत की 556 इंच का कलेजा दिखाया और वैसी हालत में जबकि अफगानिस्तान में तालिबान का रास्ता हर तरफ मशीनगन, विमान विधि तोपें, टैंक, एके-56 रॉकेट लॉन्चर और मोटार उनकी और विमान की तरफ हीं थीं तब भी डोभाल डरे नहीं और विमान में दाखिल हुए। जहां भारतीयों से बातचीत की और आतंकियों के सामने कहा कि भारत सरकार उन्हें छुड़ाएगी और वह उन्हें ले जाने के लिए आए हैं। #NojotoQuote