कभी जो साँस बन साथ रहती थी मेरे हमेशा अब बात करती नहीं जैसे इतना बेकार हूँ मैं जाते हुए उसने कहा था जी लोगे मेरे बिना तुम जैसे इंसान नहीं ,कोई पत्थर की दीवार हूँ मैं पास से गुज़र के एक नज़र न कभी डाली उसने जैसे गली के नुक्कड़ में चिपका इश्तेहार हूँ मैं मेरे लिए तो वो लड़की ,लाखों ,करोडों में एक है उसके लिए बस एक बेनाम भीड़ में शुमार हूँ मैं मेरे दिल के हालात मेरे चेहरे पे बयाँ रहते थे उसने पढ़ा ही नहीं कभी जैसे बहुत दुश्वार हूँ मैं मुझ को देखा, साथ रखा और शाम को भूल गयी किसे कोने में पटका ,सुबह का बासी अखबार हूँ मैं कोई भी बादल मेरी छत पे कभी आया ही नहीं जैसे यहाँ हर दरख़्त कटने का गुनाहगार हूँ मैं वो जानती थी हर ख़्वाहिश उसकी मंजूर होगी गाँव की सरहद पे जैसे किसी पीर की मजार हूँ मैं #yqdidi #love #catharsis #bestyqhindiquotes #yqhindi #vishalvaid #विशालवैद #मज़ार