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भारत का संघर्ष ‘गरीबी में आटा गीला’ जैसी स्थिति से

भारत का संघर्ष
‘गरीबी में आटा गीला’
जैसी स्थिति से जूझने जैसा है।
हमारे सामने अधिकांश पश्चिमी देश 
विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
भारत विकसित नहीं है। #सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ।
:
आर्थिक हालात कागजों में कुछ भी हों,
हम विकासशील ही हैं।
कोरोना ने हमको व्यावहारिक दृष्टि से और भी पीछे धकेल दिया है।
आने वाले समय में तो ‘नंगा क्या धोए, क्या निचोड़े’ जैसे दिन काटने पड़ेंगे।
:
देश को नए सिरे से खड़ा होना पड़ेगा। आजादी की जंग का जज्बा कुछ और ही था। स्वतंत्रता के नाम पर जो स्वच्छन्दता का, भ्रष्टाचार का, अंग्रेजियत का और राजनीतिक अराजकता का वातावरण बना, उसने स्वतंत्र भारत के सपनों को चूर-चूर कर दिया।
भारत का संघर्ष
‘गरीबी में आटा गीला’
जैसी स्थिति से जूझने जैसा है।
हमारे सामने अधिकांश पश्चिमी देश 
विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
भारत विकसित नहीं है। #सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ।
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आर्थिक हालात कागजों में कुछ भी हों,
हम विकासशील ही हैं।
कोरोना ने हमको व्यावहारिक दृष्टि से और भी पीछे धकेल दिया है।
आने वाले समय में तो ‘नंगा क्या धोए, क्या निचोड़े’ जैसे दिन काटने पड़ेंगे।
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देश को नए सिरे से खड़ा होना पड़ेगा। आजादी की जंग का जज्बा कुछ और ही था। स्वतंत्रता के नाम पर जो स्वच्छन्दता का, भ्रष्टाचार का, अंग्रेजियत का और राजनीतिक अराजकता का वातावरण बना, उसने स्वतंत्र भारत के सपनों को चूर-चूर कर दिया।