मुझे समझ नहीं आ रही बेबसी मेरी, क्युँ उलझ सी गई है जिन्दगी मेरी,! कहती थी तू कुछ भी तो नहीं मेरा, फिर क्युँ रह-रह कर तड़पा रहीं हैं यादे तेरी! अभी तुझसे बिछड़े पल भी नहीं गुजरा कि दिल को चाहिए जैसे रहनूमियत तेरी! शायद मगरूर थी मैं किसी दिखावे में, जो समझ ना सकी पाख मोहब्बत तेरी,! तु कोई सामान तो नहीं जो नापसंद करु मैं नहीं,आखिर कैसे पूछू मैं खैरियत तेरी,, तेरे बेमिसाल इश्क का मुकाबला कर सकूं मैं इतनी तो नहीं है सच में हैसियत मेरी! लौटकर ना आऊँ शायद कभी मैं हमनशीं जिन्दा रहेगी तमाम उम्र दिल में शख्शियत तेरी! ---#Yogini jaunpuri #backseat #Dear #Zindagi #Nojoto Varsha Singh(शिल्पी शहडोली) आशुतोष यादव