महबूब के क़दमों में जान लुटा दूँ ऐसा इरादा है कभी कमी ना होगी मेरी वफ़ाओं में ऐसा वादा है महबूब मेरा क़दमों में नहीं दिल में रखता है ज़न्नत कैसी है मालूम नहीं वो मुझे मन्नत कहता है। कदमबोसी क्यूँ करे वो जो दिल में रहता है तुमसे है गुलज़ार ज़िंदगी मेरा महबूब मुझे ज़ीनत कहता है। ♥️ Challenge-598 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।