वो दिन; उस दिन शायद वक़्त थम सा गया था साँसों का चलना बंद सा हो गया था!! हवाएं हवाएं शायद उसकी बालों से रास्ता लेकर गुज़र रही थी!! आँखों को उसके दीदार से शायद फुर्सत ना था!! बहोत कुछ कहना चाहता था शायद उनसे, पर लब्जों ने साथ ना दिया शायद दिल को गुस्ताखी मंजूर ना थी शब्दों कि उधेड़ बुन में लड़खड़ाते लब्ज़ों के सहारे हम उनसे बस इतना ही कह पाए "नाम क्या है आपका“।। ऐसी थी हमारी पहली मुलाकात जहाँ ना कुछ होश था ना कोई खबर लोगों की भीड़ में अगर कोई था तो; "वो थी मैं था हम थे“।।।। 🖋✍सत्येंद्र 💌 @meri_aawaaz13_sath Nov.19 #firstmeeting #pahelimulakaat