मैंने तेरे लिए .......शानदार फैसला...... "पापा जी ! पंचायत इकठ्ठी हो गई, अब बँटवारा कर दो।" रजिन्दर सिंह के बड़े लड़के ने रूखे लहजे में कहा। हाँ पापा जी ! कर दो बाँट बटव्वल अब इकठ्ठे नहीं रहा जाता" छोटे मनप्रीत ने भी उसी लहजे में कहा। "जब साथ में निबाह न हो तो औलाद को अलग कर देना ही ठीक है, अब यह बताओ तुम किस बेटे के साथ रहोगे ?" सरपंच ने रजिन्दर सिंह के कन्धे पर हाथ रख कर के पूछा। "अरे इसमें क्या पूछना, छ: महीने पापा जी मेरे साथ रहेंगे और छ: महीने छोटे के पास रहेंगे।" चलो तुम्हारा तो फैसला हो गया, अब करें जायदाद का बँटवारा !" सरपंच बोला। रजिन्दर सिंह जो काफी देर से सिर झुकाये बैठा था, एकदम उठ के खड़ा हो गया और चिल्ला के बोला, " कैसा फैसला हो गया, अब मैं करूंगा फैसला, इन दोनों लड़कों को घर से बाहर निकाल कर !," "छः महीने बारी बारी से आकर मेरे पास रहें, और छः महीने कहीं और इंतजाम करें अपना...." "जायदाद का मालिक मैं हूँ यह नहीं।" दोनों लड़कों और पंचायत का मुँह खुला का खुला रह गया, जैसे कोई नई बात हो गई हो.....