पैरों की नूपुर नहीं, मुझे सिर का ताज बनना है.. मुझे शायर की शायरी नहीं, जिन्दा आवाज बनना है l खनक छोड़ दू टूटकर, किसी शीशे की तरह..... मुझे सुबह के श्लोक और शाम की नमाज बनना है ll #gautamsaheb