हो सत्ता तेरे गलियारों में जनता बेची जाती है नेता तो जीत जाते हैं पर जनता हरायी जाती है जनाधार की धार पर स्वार्थ की धारा भारी है जीते जिन मुद्दों को लेकर, उनसे भागने की तैयारी है Satta