सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा जल में, थल में, अंबर में, रंग राग कर दे इन्द्रधनुष की आभा से तू आसमान भर दे नदिया बन तू सींच धरा को, मौसम ना तरसा सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा वन उपवन में महक धूप सी, कनक कोकिला गाने दे सन्दल सी आभा सा चमके, सूरज को मुस्काने दे क्षितीज कृष्ण की बने बाँसुरी, तप ऐसा दर्शा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा सुन ओ पाखी भोर की, सरस सुधा बरसा कण कण में तू राग फूँक दे, श्रृष्टि को हर्षा #भोर #main_kaun_tu_khamakhan #मै_कौन_तू_खाँमखाँ #kavishala #hindinama #tassavuf