उसकी मुस्कान और खूबसूरती में बड़ा सुरूर है, सफर मेरा उस तक पहुंचने का बस थोड़ा दूर है, छूने को करता है मन उस चांद को, उस मेहताब में बड़ा गुरूर है। नजाकत से ले आएंगे उस चांद को जमीन पर, फिदा है हम उसकी अदाओं पर, किस बात पर वह इतना मगरूर है। मेहताब