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अब याद आ रहा है, वो कमरा 405 वाला, वो 2 चाबियों क

अब याद आ रहा है,
वो कमरा 405 वाला, 
वो 2 चाबियों का ताला, 
वो सीढ़ी पर चिल्लाते रहना, 
रात भर बतियाते रहना, 
वो मैदा वाला आटा, 
वो बिना आलू का पराठा, 
मिश्रा जी का होने वाला घाटा, 
घाटे में सबको टोपी पहनाना, 
दुबे का बचकर निकल जाना, 
कौशल भैया के कमरे में जाना, 
सबका मिलकर खाना पकाना, 
निखिल को चुनाव लड़वाना, 
सब हँस हँस कर पगलाना, 
सब याद आ रहा है 😊
                             -अभिनव सिंह #lockdown #hostelmemories
अब याद आ रहा है,
वो कमरा 405 वाला, 
वो 2 चाबियों का ताला, 
वो सीढ़ी पर चिल्लाते रहना, 
रात भर बतियाते रहना, 
वो मैदा वाला आटा, 
वो बिना आलू का पराठा, 
मिश्रा जी का होने वाला घाटा, 
घाटे में सबको टोपी पहनाना, 
दुबे का बचकर निकल जाना, 
कौशल भैया के कमरे में जाना, 
सबका मिलकर खाना पकाना, 
निखिल को चुनाव लड़वाना, 
सब हँस हँस कर पगलाना, 
सब याद आ रहा है 😊
                             -अभिनव सिंह #lockdown #hostelmemories