पूछते क्या हो यूं लेकर सवाल आंखों में पढ़ सको पढ़ लो मेरा सारा हाल आंखों में देखना था कि समंदर से क्या निकलता है बस यही सोच के फेंका था जाल आंखों में वो मेरे सामने आती है झुकाए पलकें हया को रखा है उसने संभाल आंखों में नजर से नब्ज पकड़कर इलाज कर भी कर दे वो लेकर चलती है क्या अस्पताल आंखों में जो उसका साथ है तो तीरगी से डर कैसा इश्क में जलने लगती है मशाल आंखों में।। #अतुल #Gazal #Atulkannaujvi #shayari