ज़हान के रंगमंच में हर आदमी एक किरदार है, गफ़लत न पालें कि हर कोई आपका तरफ़दार है। कभी नज़रों का बोझ तो कभी दिल पर बोझ है, कहने को खाली है फिर भी जज़्बातों का बाजार है। 'पैग़ाम-ए-इश्क़ न सही ख़्वाबो में गुफ़्तगू हो जाएगी, लेकिन इक नींद है जो मेरे ख़्वाबो की पहरेदार है। मेरा मन बहुत बेचैन है जरूर कुछ छूटा है 'अंजान', चौकठ ख़ाली खिड़की सूनी और चुपचाप दीवार है। इश्क़ का पैग़ाम (ग़ज़ल) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkइश्क़कापैग़ाम #yqdidi #yqbaba