कविता गरीब इंसान..... हर किसी का मोहताज हूँ सड़क पर पड़ा कच्चा तो हूं पर किसी से काम न आ पाऊं इतना बेकार न हूं मैं हा गरीब इंसान हूं मैं किसी का मोहताज हूं मैं सबकी बक - बक सुनता हूं हर रोज इधर-उधर भटकता है अपनों के लिए मेहनत करता हूं हां गरीब इंसान हूं तभी तो यह सारे जुल्म सहता हूं अपने सपनों का गला दबा लिया है अपने परिवार को अपना सपना जान लिया है उनकी खुशी में अपनी खुशी मिल जाती है एक गरीब इंसान को यह दुनिया बहुत कुछ दिखाती है बेशक मंजूर न है मुझे यह दर्द भरी जिंदगी इन गमों को अपनाती है बेरुखी इज्जत की खा लेते हैं हम भी तो दो पल कभी गरीब इंसान है इस दुनिया में यह सभी #your #poor #Man #is #powerful #Leadership