बो मजदूर था,माहिर है खिलौने बनाने में, जिद कर बैठी है बेटी इक खिलौने के लिए,पर बो घर से दूर था,मशगूल था रोटी कमाने में, मां ये सोच कर हैरान है,क्या अजीब किस्मत बनाता है रे कारीगर, यहां रो रो कर बुरा हाल है मेरा,तूने उसे लगा रखा है गैरों को हसानें में। गजब कारीगर,,