Nojoto: Largest Storytelling Platform

मिसरा -ए-उला को सानी करना है। पत्थर को पिघलाकर

मिसरा -ए-उला  को  सानी  करना है।
पत्थर को पिघलाकर पानी करना है।।
,
मेरी उस  तक  सारी   बातें   पहुँचेंगी।
मुझको लहज़ा और रूहानी करना है।।
,
सबकी   बातें   मानी  है  मैंने  अक्सर।
अब मुझको भी आना-कानी करना है।
,
मैं  खो  जाता  हूँ ये अक़्सर ठीक नहीं।
अब से ख़ुद की ही निगरानी करना है।।
,
आख़िर थोड़े दिन की दुनियां-दारी में।
कितने दिन तक और नादानी करना है।
,
उसकी  सारी   शर्तें    मान   के लौटा हूँ।
अब मुझको अपनी मन-मानी करना है।।
#रमेश

©Ramesh Singh
rameshsingh8886

Ramesh Singh

New Creator

#रमेश

289 Views