शयाम के इशक़ मे कुछ इसरह बदनाम हो जाऊं । के वो मीरा बने और मे श्याम हो जाऊं । छुपा के अपनी पलको मे कन्हैया को कन्ही मै काश , जन्हा से दूर जाके खुदसे भी गुमनाम हो जाऊँ । मेरे कष्टो को वो ऐसे सम्भाले जा रहा है । के जी चाहता है उस मोहन पे मे क़ुर्बान होजा जाऊं । रिझाऊं उसको में मखान की मटकी से , बने वो फूल मेरे इश्क़ का,में गुलदान हो जाऊं। मोहन ऐसी नज़र कर दे "परवेज़" पर अपनी, गदाई नाम करदे मगर इश्क़ का सुल्तान हो जाऊं । Written By:- Parvej Sabri ©I luv My Past #LoveShyam #LoveYouYashoda_K_Lal #Janamashtmi2020