घर जिसमें माँ-बाप रहते, स्वजन सब हैं साथ रहते, पर दरारें पड़ रही, और दीवारें बिछ रही। वक्त ज्यों-ज्यों टहल रहा, घर देखो कितना बदल रहा, सुनने को दादी की कहानियाँ नहीं, माँ देखें बच्चों की नादानियाँ नहीं Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto