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प्रश्नचिन्ह?? पृष्ठ २ नीती के मन में आसहनीय

प्रश्नचिन्ह??





पृष्ठ २

 नीती के मन में आसहनीय पीड़ा थी,उसने अभी कुछ पल पहले  ही अपने सशक्त भैया की आंखों में बेबसी देखी,बेबसी का साकार रूप देखा, बेबसी छलकी तो नहीं आनंद ने आंखे भींच कर सोखने का यत्न किया।मगर उसमे जो कड़वाहट और कसैलापन था उसे नीति के मन ने भी अनुभव किया।उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे,क्या ऐसा करे कि अपने भैया की पीड़ा में से थोड़ी सी पीड़ा वो पी सके।
अचानक उसके मन ने बोला 
*तू भैया के पास ही रुक जा आज*
इस विचार ने उसके मन की उथल पुथल को हल्का सा शांत किया और उसे लगा कि उसमे साहस भर रहा है।उसकी कल्पना उसकी सोच उसकी सृष्टि इस समय भैया से शुरू हो कर भैया तक ही सीमित रह गई है।भैया के पास रुक जाने के विचार ने इस समय उसके लिए संजीवनी का काम किया। उसे लगा कि वर्तमान परिस्थिति में उसका दायित्व यही है कि वह आनन्द भैया की छाया बन के उनके साथ रहे।
आनन्द ने दीपा को इंजेक्शन लगा दिया तो वो मिनटों में सो गई। नीती ने आनन्द की आंखों में झांका, आनन्द ने आंखों के इशारे से बाहर चलने को कहा।
बाहर घर के सभी सदस्य सब एक ही प्रश्न लिए हुए तैयार थे
कि आख़िर dr.Ashok ने क्या कहा। बड़ी मुश्किल से आनन्द ने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश की और chemothreapy और Radiations होनी है इतना संक्षिप्त सा उत्तर दे कर शांत हो गया। उसके इस उत्तर से कोई भी संतुष्ट नहीं हुआ.. मानो सब सबकुछ इसी समय जान लेना चाहते हैं और वो किसी को कुछ स्पष्ट नहीं बताना चाहता।
सशंकित सा हर कोई अपनी अपनी समझ के अनुसार स्वयं ही समझ लेता है जो उसे समझना हो कि वास्तविकता ऐसी ही है।
प्रश्नचिन्ह??





पृष्ठ २

 नीती के मन में आसहनीय पीड़ा थी,उसने अभी कुछ पल पहले  ही अपने सशक्त भैया की आंखों में बेबसी देखी,बेबसी का साकार रूप देखा, बेबसी छलकी तो नहीं आनंद ने आंखे भींच कर सोखने का यत्न किया।मगर उसमे जो कड़वाहट और कसैलापन था उसे नीति के मन ने भी अनुभव किया।उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे,क्या ऐसा करे कि अपने भैया की पीड़ा में से थोड़ी सी पीड़ा वो पी सके।
अचानक उसके मन ने बोला 
*तू भैया के पास ही रुक जा आज*
इस विचार ने उसके मन की उथल पुथल को हल्का सा शांत किया और उसे लगा कि उसमे साहस भर रहा है।उसकी कल्पना उसकी सोच उसकी सृष्टि इस समय भैया से शुरू हो कर भैया तक ही सीमित रह गई है।भैया के पास रुक जाने के विचार ने इस समय उसके लिए संजीवनी का काम किया। उसे लगा कि वर्तमान परिस्थिति में उसका दायित्व यही है कि वह आनन्द भैया की छाया बन के उनके साथ रहे।
आनन्द ने दीपा को इंजेक्शन लगा दिया तो वो मिनटों में सो गई। नीती ने आनन्द की आंखों में झांका, आनन्द ने आंखों के इशारे से बाहर चलने को कहा।
बाहर घर के सभी सदस्य सब एक ही प्रश्न लिए हुए तैयार थे
कि आख़िर dr.Ashok ने क्या कहा। बड़ी मुश्किल से आनन्द ने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश की और chemothreapy और Radiations होनी है इतना संक्षिप्त सा उत्तर दे कर शांत हो गया। उसके इस उत्तर से कोई भी संतुष्ट नहीं हुआ.. मानो सब सबकुछ इसी समय जान लेना चाहते हैं और वो किसी को कुछ स्पष्ट नहीं बताना चाहता।
सशंकित सा हर कोई अपनी अपनी समझ के अनुसार स्वयं ही समझ लेता है जो उसे समझना हो कि वास्तविकता ऐसी ही है।