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चलो कुछ गुनगुना के देखें ये शायद रात कट जाए ठिठुरत

चलो कुछ गुनगुना के देखें ये शायद रात
कट जाए
ठिठुरते जिस्म की सिहरन जरा सी और
घट जाए

अब अपने मेहरबाँ से छेड़ करना भी
ज़रूरी है
भले भी शख़्सियत अपनी कई टुकड़ों मे
बँट जाए

खुदा का शुक्र है हर आदमी अब सोचता
तो है
अगर ये नींव कापें और ये दीवार हट
जाए
#दुष्यंत कुमार#पुण्यतिथि #दुष्यंत कुमार
चलो कुछ गुनगुना के देखें ये शायद रात
कट जाए
ठिठुरते जिस्म की सिहरन जरा सी और
घट जाए

अब अपने मेहरबाँ से छेड़ करना भी
ज़रूरी है
भले भी शख़्सियत अपनी कई टुकड़ों मे
बँट जाए

खुदा का शुक्र है हर आदमी अब सोचता
तो है
अगर ये नींव कापें और ये दीवार हट
जाए
#दुष्यंत कुमार#पुण्यतिथि #दुष्यंत कुमार