जिस भी दिन लौ उठती दिल मे,जगता एक दरिंदा था.... आसमान में उड़ने वाला मैं भी एक परिंदा था...!!(2) यू तो कत्ल कर दिया उसका बरसों पहले ख़ंजर से, पता नही वो अबतक कैसे, ग़ज़लों में मेरे ज़िंदा था...!!!! अर्पित द्विवेदी #नफरतें_ऐ_इश्क #सफर_ए_जिंदगी