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ज्यों-ज्यों ये वक़्त गुज़र रहा है, मेरे हाथो से ये ज

ज्यों-ज्यों ये वक़्त गुज़र रहा है,
मेरे हाथो से ये जाम छूटा जा रहा है,
पल-पल कर गुज़र रहा हूँ मै काबिज-ए-वक़्त,
कम्बखत ये इन्तजार उनका बा-सब्र हो रहा है।

"जानिब"

©Santosh Kumar Jamwal #ख्याल #वक़्त #काबिज 
#LostInCrowd
ज्यों-ज्यों ये वक़्त गुज़र रहा है,
मेरे हाथो से ये जाम छूटा जा रहा है,
पल-पल कर गुज़र रहा हूँ मै काबिज-ए-वक़्त,
कम्बखत ये इन्तजार उनका बा-सब्र हो रहा है।

"जानिब"

©Santosh Kumar Jamwal #ख्याल #वक़्त #काबिज 
#LostInCrowd