देखा था एक रोज़ उसे ऐसी ही किसी शाम को, पिया था आँखों से उसकी एक अनपिये जाम को। वजूद-ऐ-होश गवा दिये थे नशे में उसके, कि आया जो होश तो पाया, खुमारी में उसके, खो बैठे हम ख़ुद अपने ही नाम को। _sanshika #teranasha #khumariteri #khoyanaam #sad