काश तमन्नाओं की भी कोई मँजिल होती, कहीं सजी अरमानों की भी महफिल होती, रोज घूमते इसमें तुम्हारा हाथ थामे हुए, कभी आसमां मेरा तो कभी जमीं भी मेरी होती, एहसास भी कभी जिन्दा होते ख्वाबों से परे, कभी अश्क बहते गर मेरे तो उँगलियां तुम्हारी और आँखें मेरी होतीं. JK1022 . . #hindi #hindipoetry #hindishayri#hindustani #writersofinstagram #writersofig #indianwriters #indianpoetry#nototoapp.#instagarn