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ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम', जिन्हें मैं कोई नाम न

ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम',
जिन्हें मैं कोई नाम न दे पाया,
या जिन्होंने कोई नाम ना स्वीकारा...
कुछ रिश्तें जुगनुओं जैसे होते हैं,
जो सूनी-अंधेरी राहों में ही दिखते हैं,
जैसे ही उजाला होता है,
कही गुम हो जाते हैं...
उन 'रिश्तों के नाम'
कुछ रिश्तें राह चलते भर के होते हैं,
जो किताबें समेट कर उठाते हैं,
मुस्कुराकर आगे बढ़ जाते हैं,
उन 'रिश्तों के नाम' 
ये प्रेम पत्र है।

©The Urban Rishi ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम',
जिन्हें मैं कोई नाम न दे पाया,
या जिन्होंने कोई नाम ना स्वीकारा...
कुछ रिश्तें जुगनुओं जैसे होते हैं,
जो सूनी-अंधेरी राहों में ही दिखते हैं,
जैसे ही उजाला होता है,
कही गुम हो जाते हैं...
उन 'रिश्तों के नाम'
ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम',
जिन्हें मैं कोई नाम न दे पाया,
या जिन्होंने कोई नाम ना स्वीकारा...
कुछ रिश्तें जुगनुओं जैसे होते हैं,
जो सूनी-अंधेरी राहों में ही दिखते हैं,
जैसे ही उजाला होता है,
कही गुम हो जाते हैं...
उन 'रिश्तों के नाम'
कुछ रिश्तें राह चलते भर के होते हैं,
जो किताबें समेट कर उठाते हैं,
मुस्कुराकर आगे बढ़ जाते हैं,
उन 'रिश्तों के नाम' 
ये प्रेम पत्र है।

©The Urban Rishi ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम',
जिन्हें मैं कोई नाम न दे पाया,
या जिन्होंने कोई नाम ना स्वीकारा...
कुछ रिश्तें जुगनुओं जैसे होते हैं,
जो सूनी-अंधेरी राहों में ही दिखते हैं,
जैसे ही उजाला होता है,
कही गुम हो जाते हैं...
उन 'रिश्तों के नाम'