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अब थक गया हूं इश्क वाली शायरी पढ़ते पढ़ते किसी का

अब थक गया हूं इश्क वाली शायरी पढ़ते पढ़ते
किसी का प्यार जिंदा भी है या सबका मर गया जिसे देखो उसी का दिल टूटा हुआ है
मानो धरा से चांद रूठा हुआ है
मोहब्बत जैसे कोई नाटक हो गया
नगाड़े की धुन पर खुलता-बंद होता
 पर्दे वाला फाटक हो गया 
युवा बेचारे सूख रहे हैं
जैसे धूप में सूख गया महुआ
लिख रहें हैं इतने दर्द से
अब थक गया हूं इश्क वाली शायरी पढ़ते पढ़ते
किसी का प्यार जिंदा भी है या सबका मर गया जिसे देखो उसी का दिल टूटा हुआ है
मानो धरा से चांद रूठा हुआ है
मोहब्बत जैसे कोई नाटक हो गया
नगाड़े की धुन पर खुलता-बंद होता
 पर्दे वाला फाटक हो गया 
युवा बेचारे सूख रहे हैं
जैसे धूप में सूख गया महुआ
लिख रहें हैं इतने दर्द से