बड़ा ही विचित्र है,कैसा ये चित्र है, राम के मुखौटे लिए,रावण सा चरित्र है न ही किसी का शत्रु,न ही किसी का मित्र है, षडयंत्र रचे ये घड़ी-घड़ी,क्या ये तेरा अस्तित्व है। मर चुकी संवेदना,काला है तेरा दिल। दफन कर स्वयं की अच्छाइयों को, घोटे गला किसी गैरो के भावनाओ को, करे तू विश्वास को चूर, करे हर सपना चकनाचूर। मोम सा है हृदय उसका,और रेशम सा विश्वास, त्याग दुनियरूपी हर मोह को,है तुझसे ही बस आस। मत खेल ये खेल,है दिल इसका पवित्र। जो ये तेरा दोहरा चरित्र है,बड़ा ही विचित्र है। #mental disorder