तू मुझको अपनी ममता के आंचल की छांव दे ज़िंदगी, टूटा ही सही अपना तराशा हुआ इक ख़्वाब दे ज़िंदगी, ढूंढ ही लूंगा किसी दिन ठिकाना अपनी ख़्वाब ए मंज़िल का, तू चलने दे मुझको यूहीं मेरे सफ़र तक नंगे पांव ज़िंदगी... ©Nikhil Kaushik #छांव #chaanv #आंचल #ख़्वाब #मंज़िल #सफ़र #हिंदी_कविता