"सुंदर मुंदरीय हो" सांझी संस्कृति का प्रतीक है लोहड़ी, प्यार व सौहार्द का प्रतीक है लोहड़ी, आपसी भाईचारे का प्रतीक है लोहड़ी, पौष मास की समाप्ति,माघ मास के प्रारभ है लोहड़ी, मोहब्बत की एहसास और बसंत ऋतु का आगाज़ है लोहड़ी। हर वर्ग और समुदाय खुशी-खुशी इसे मनाए, पुराने गिले-शिकवे भुलाकर रिश्तों को मज़बूत बनाए, वंश वृद्धि का सूचक जैसे नई दुल्हन, नन्हे मेहमान का आना, तिल-रेवड़ियों की आहुति के साथ अग्नि के चक्र लगाना, नाच गाकर पूरे हर्षोल्लास इसको मनाना। किसी के घर लोहड़ी मांगने जाओ तो "सुंदर मुंदरीय हो" दुल्ला भट्टी वाला, गीत गा कर लोहड़ी मांगी जाती है, यह बड़ी पुरानी और प्रसिद्ध कहानी है, इस गीत के के द्वारा याद कर आते वो कहानी है। नायक दुल्ला भट्ठी ने दो गरीब लड़कियों को बचाया था, सुंदरी और मुंदरी को मुगल शासकों से बचाकर, लगा जंगल में आग विवाह करवाया था, तबसे उसी को याद करके, यह सुंदर गीत पनप के आया था। सुंदर मुंदरीय हो" सांझी संस्कृति का प्रतीक है लोहड़ी, प्यार व सौहार्द का प्रतीक है लोहड़ी, आपसी भाईचारे का प्रतीक है लोहड़ी, पौष मास की समाप्ति,माघ मास के प्रारभ है लोहड़ी, मोहब्बत की एहसास और बसंत ऋतु का आगाज़ है लोहड़ी। हर वर्ग और समुदाय खुशी-खुशी इसे मनाए,