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उड़ गई मेरी रातों की नींद जब मैंने उसके जिस्म पर ना

उड़ गई मेरी रातों की नींद जब मैंने उसके जिस्म पर नाखूनों के निशान और कपड़े के रूप में चिथड़े देखें हैं...
कुछ वहसी इंसान बनके घूम रहे थे मैंने ऐसे अपनो के जख्म बहुत नजदीक से देखे हैं..
मर गई वो इज्जत बचाने के लिए मैंने जलते हुए उसके हसीं सपने देखे हैं..
एक फूल को मसल डाला हवस की चाहत में ऐसे दरिंदो को तेजाब से नहलाते हुए किये की सजा दी ऐसे कानून में जनता के देखे हैं।।
वेदना________शायर की #InspireThroughWritin
उड़ गई मेरी रातों की नींद जब मैंने उसके जिस्म पर नाखूनों के निशान और कपड़े के रूप में चिथड़े देखें हैं...
कुछ वहसी इंसान बनके घूम रहे थे मैंने ऐसे अपनो के जख्म बहुत नजदीक से देखे हैं..
मर गई वो इज्जत बचाने के लिए मैंने जलते हुए उसके हसीं सपने देखे हैं..
एक फूल को मसल डाला हवस की चाहत में ऐसे दरिंदो को तेजाब से नहलाते हुए किये की सजा दी ऐसे कानून में जनता के देखे हैं।।
वेदना________शायर की #InspireThroughWritin